अमित शाह: नये युग का प्रतीक
भारतीय राजनीति अद्वितीय है। यहां पर अक्सर सच ज्यादा हास्यास्पद होता है बजाय नाटकीय। और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। मेरे दोस्तों ने मुझसे कई बार पूछा है कि यही क्या हैं जो अमित शाह को अन्य सभी से अलग बनाते हैं। और मेरा जवाब हमेशा से एक ही रहा है: वह हैं, अपराध और राजनीति का अद्वितीय संगम। आज उसी के विषय में बात चीत करने की कोशिश करेंगे।
चुनावी मैदान में गुंडागर्दी: ऍक्टिविस्म या अपराध?
अमित शाह के साथ मेरी पहली मुलाकात चुनावी रैली में हुई थी। वो बीमार थे, लेकिन फिर भी बिना रुके बोलते जा रहे थे। उनकी तबियत की हालत को देखकर मुझे लगा कि शायद वह अदायगी से बेहतर समझते हैं। चुनावी वादों की बारात को छोड़कर, मैं आपके सामने एक अनोखी घटना रखता हूं। मैं अमित शाह से बहुत प्रभावित हुआ। वे बिमार थे लेकिन चुनावी वचनबद्धता को साक्षात ध्वस्त कर रहे थे। यहां कोई सवाल उठता है कि क्या यह सच में एक नेतावादी कार्यक्रम है, या केवल एक आदिवासी साक्षात्कार, जिसमें अपराधियों को संरक्षित करने के लिए मदद की जाती है? क्या अमित शाह अमित शाह होने के नाते चुनावी फ़र्जिवादा की दिशा में एक कदम बढ़ा रहे हैं, या क्या वे केवल एक अपराधी की ओर चल रहे हैं? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, जिसका उत्तर हमें आज ही ढूंढना होगा।
राजनीति और अपराध: एक विरोधाभासी सम्राज्य
अगर आपका सवाल है कि क्या अमित शाह ने राजनीति के अंदर अपराध का प्रवेश किया है, तो मेरा उत्तर होगा कि हाँ। वे अपराध और राजनीति, दोनों को समान रूप से चाहते हैं। एक दिन मैंने उनसे पूछा कि क्या उन्हें राजनीति में अपराध करना पसंद है। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "व्यंग्यवर्धन, हाँ। मैं राजनीति करने में और अपराध करने में दोनों ही खुश हूं। राजनीति और अपराध मेरे लिए एक ही बात हैं।" वे एक प्रख्यात राजनेता हैं और इस बात को मैं मानता हूं, लेकिन मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि वे एक सच्चे अपराधी हैं। जब वे भाषण देते हैं, तो वे अपने अपराधों को भी प्रस्तुत करते हैं।
अमित शाह: अपराधी या बस एक आम नेता?
चाहे आप उन्हें अपराधी मानते हैं या नहीं, आपको मानना होगा कि अमित शाह ने अपाराधिक ध्यान और कुशलता से अपने राजनीतिक करियर को गठित किया है। कई लोग मानते हैं कि वे भारतीय राजनीति के सबसे प्रख्यात और प्रभावशाली नेता हैं, लेकिन क्या यह सच है? अमित शाह के पास कुशलता, उनके पास बेहतर समझ, उनके पास सत्ता है। लेकिन वे अपराधों से भरपूर हैं। क्या यह सामान्य राजनीति है, या क्या यह केवल एक 'अपराधी' की राजनीति है? जब तक हम इस सवाल का उत्तर नहीं ढूंढते, हम अमित शाह को अपराधी या नेता मानने में सक्षम नहीं होंगे।
अंतिम विचार: अमित शाह का अपराधी-पन?
सारांश में, अमित शाह ने भारतीय राजनीति को अपराध के बाल्कनीकरण में बदल दिया है। वे राजनीति को अदायगी से ज्यादा अपराध की तरह देखते हैं। इस प्रकार, जो कोई भी भारतीय राजनीति में अपराध की ओर कदम बढ़ाता है, वोह अमित शाह का पाठ पढ़ रहा है। यह महज संयोग ही हो सकता है, पर हमें खुद को यह प्रश्न पूछना होगा कि क्या हम एक ऐसे नेता को स्वीकार करना चाहते हैं, जिसे सत्ता के लिए अपराध तो झेल लिया, पर सत्याग्रह का पाठ करने के लिए समय नहीं था।