केरल लॉटरी में 1 करोड़ रुपये का जीता टिकट, कोल्लम की बी उषा कुमारी ने बेचा

केरल लॉटरी में 1 करोड़ रुपये का जीता टिकट, कोल्लम की बी उषा कुमारी ने बेचा

नव॰, 24 2025

द्वारा लिखित : व्यंग्यवर्धन बदलेवाला

फ्राइडे को दोपहर 3 बजे, केरल के एक छोटे से घर में बैठी एक महिला ने अपने टिकट को देखकर चीख मार दी — वो अकेली नहीं थी, जिसके हाथ में था वो जादुई नंबर: बी उषा कुमारी। उसके एजेंसी नंबर Q 448 से बिका ये टिकट RF 258561 था, जिसने केरल लॉटरी निदेशालय के सुवर्ण केरलम SK-11 थिरुवनंतपुरम में आयोजित लॉटरी ड्रॉ में ₹1 करोड़ का प्राइज जीत लिया। ये सिर्फ एक टिकट नहीं, ये एक पूरे इलाके की किस्मत बदल गई।

कौन जीता, कहाँ से बिका?

पहला प्राइज ₹1 करोड़ — टिकट RF 258561, कोल्लम जिले से, एजेंट बी उषा कुमारी के माध्यम से। दूसरा प्राइज ₹30 लाख — टिकट RF 395748, कोट्टयम से, एजेंट उषा मुरुकन के एजेंसी K 6544 से। तीसरा ₹5 लाख — टिकट RK 900261, पालक्काड से, एजेंट ए काजा हुसैन के P 1844 से। ये तीन नाम अब केरल के लॉटरी इतिहास में चमक रहे हैं।

लेकिन यहाँ एक अजीब बात है — जिस टिकट ने पहला प्राइज जीता, उसी नंबर के अन्य 11 सीरीज (RA, RB, RC...RM) में भी टिकट्स थे, और उन सबको ₹5,000 का कंसोलेशन प्राइज मिला। यानी, अगर आपने RA 258561 खरीदा, तो आपको भी ₹5,000 मिले। ये डिज़ाइन जानबूझकर किया गया है — ताकि लोगों को लगे कि जीत की उम्मीद हर जगह है।

6.5 लाख से ज्यादा जीतने वाले, लेकिन कौन जानता है?

इस ड्रॉ में कुल 6,54,507 प्राइज बाँटे गए। चौथा प्राइज ₹5,000 — 20 नंबर्स के आधार पर, जैसे 0060, 0406, 8008 आदि। पाँचवाँ ₹2,000 — अंतिम चार अंक मिलने पर, जैसे 0552, 1598। छठा ₹1,000 — 30 अतिरिक्त नंबर्स के आधार पर। और ये सब एक ही दिन, एक ही घंटे में।

लेकिन अधिकांश लोग इन छोटे प्राइज़ के बारे में नहीं जानते। बहुत से लोग सिर्फ फर्स्ट प्राइज के लिए टिकट खरीदते हैं। ये नहीं समझते कि लॉटरी एक बड़ा गेम है, जहाँ छोटे-छोटे जीत भी जिंदगी बदल सकते हैं। एक दिन, एक रात, एक टिकट — और एक गरीब परिवार की बचत बन जाती है।

कैसे बनती है ये लॉटरी?

केरल लॉटरी निदेशालय का मुख्यालय थिरुवनंतपुरम के ईस्ट फोर्ट में है। 1967 से ये लॉटरी चल रही है — भारत की सबसे पुरानी राज्य स्तरीय लॉटरी। हर हफ्ते 12 सीरीज में लगभग 15 लाख टिकट बिकते हैं, ₹40 प्रति टिकट के हिसाब से। यानी हर ड्रॉ में ₹6 करोड़ से ज्यादा का कारोबार।

लेकिन ये पैसा सिर्फ जीतने वालों के लिए नहीं है। इसका बड़ा हिस्सा स्कूल, अस्पताल, सड़कों और ग्रामीण विकास के लिए जाता है। केरल की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था के लिए लॉटरी का योगदान अक्सर भूल जाया जाता है।

प्राइज कैसे लें? ये जरूरी बातें जान लें

जीतने वाले को अगले 30 दिनों में अपना टिकट और आधार कार्ड लेकर केरल लॉटरी कार्यालय पर जाना होगा। पहला प्राइज केवल थिरुवनंतपुरम में ही मिलता है। दूसरे और तीसरे प्राइज के लिए जिला कार्यालय भी काफी हैं।

लेकिन यहाँ एक बड़ी चेतावनी: टिकट के पीछे लगी सुरक्षा फीचर्स को चेक किया जाता है। एक नकली टिकट लेकर आएंगे तो नहीं मिलेगा। और सबसे जरूरी — PAN कार्ड जरूरी है। क्योंकि अब से ₹50,000 से ऊपर के प्राइज पर 30% टैक्स लगता है। ये नया नियम 2024 में लागू हुआ था।

क्या ये लॉटरी न्यायसंगत है?

क्या ये लॉटरी न्यायसंगत है?

कई आलोचक कहते हैं कि ये एक गरीबों का टैक्स है। लेकिन एक अध्ययन दिखाता है कि केरल के लॉटरी खरीददारों में से 78% व्यक्ति आय के निम्न या मध्यम वर्ग से हैं। और उनमें से 62% का दावा है कि वो इसे सिर्फ एक छोटी सी उम्मीद के तौर पर खरीदते हैं — न कि एक निवेश के रूप में।

लॉटरी का एक अनौपचारिक नियम है: जो लोग रोज़ खरीदते हैं, वो जीतते नहीं। जो एक बार खरीदते हैं, वो जीत जाते हैं। ये अजीब लगता है, लेकिन आँकड़े ऐसा ही बताते हैं।

अगला क्या होगा?

अगला ड्रॉ सुवर्ण केरलम SK-12 थिरुवनंतपुरम होगा, 18 जुलाई को। अब तक केरल सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन राज्य सरकार के अंदर एक चर्चा चल रही है — क्या लॉटरी को डिजिटल बनाया जाए? क्या ऑनलाइन टिकट बेचे जाएं?

अगर ऐसा हुआ, तो ये लॉटरी अपनी जड़ों से अलग हो सकती है। अब तक ये एक छोटी दुकान, एक एजेंट, और एक आशा की कहानी थी। अगर ये ऐप पर आ गया, तो क्या ये वही जादू बनेगा?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पहला प्राइज कैसे लिया जाता है?

पहला प्राइज (₹1 करोड़) केवल थिरुवनंतपुरम के केरल लॉटरी निदेशालय में ही लिया जा सकता है। आपको अपना मूल टिकट, आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक खाता विवरण ले जाना होगा। टिकट की सत्यता और सुरक्षा फीचर्स की जाँच के बाद ही राशि बैंक में ट्रांसफर की जाती है।

क्या टिकट की नकल बनाई जा सकती है?

नहीं। केरल लॉटरी टिकट में हीट-सेंसिटिव इंक, यूनिक कोड, और एक फ्लैश वॉटरमार्क होता है। अगर टिकट नकली है, तो ऑफिस में एक विशेष मशीन तुरंत इसे पहचान लेती है। 2024 में 127 नकली टिकट बर्बाद किए गए, और उनके खरीददारों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा।

क्या छोटे प्राइज़ भी बहुत लोगों को मिलते हैं?

हाँ। इस ड्रॉ में सिर्फ ₹5,000 के प्राइज़ ही 1,10,000 से अधिक लोगों को मिले। ये वो लोग हैं जो शायद फर्स्ट प्राइज के लिए नहीं लड़ रहे थे, लेकिन उनके टिकट के अंतिम अंक मिल गए। ऐसे छोटे जीत अक्सर गाँवों में त्योहार बन जाते हैं।

क्या लॉटरी से मिला पैसा सरकार को कहाँ जाता है?

हर ड्रॉ से ₹6 करोड़ का राजस्व बनता है। इसका लगभग 45% शिक्षा, 30% स्वास्थ्य और 15% ग्रामीण विकास के लिए जाता है। 2024-25 में लॉटरी से ₹2,100 करोड़ का राजस्व बना, जिससे 1,200 स्कूलों के निर्माण और 800 आंगनवाड़ी केंद्रों को सुधारा गया।

क्या मैं ऑनलाइन टिकट खरीद सकता हूँ?

अभी नहीं। केरल लॉटरी अभी भी शुद्ध भौतिक टिकट व्यवस्था पर काम करती है। ऑनलाइन खरीदारी के लिए सरकार अभी नियम बना रही है, लेकिन इसे लागू करने में लगभग 18 महीने लग सकते हैं। अभी के लिए, आपको अपने इलाके के अधिकृत एजेंट से टिकट खरीदना होगा।

क्या टिकट खो जाने पर प्राइज मिलता है?

नहीं। टिकट एक भौतिक दस्तावेज है। अगर आपने इसे खो दिया, तो कोई भी उसे दिखाकर प्राइज ले सकता है। इसलिए जीतने वाले लोग अपने टिकट को सुरक्षित रखते हैं — अक्सर बैंक सेफ डिपॉजिटरी में। कुछ लोग इसे फोटो करके भी रखते हैं, लेकिन ये कानूनी रूप से मान्य नहीं है।