भारत और ऑस्ट्रेलिया टीमें फिल ह्यूज को 63 सेकंड की श्रद्धांजलि देंगी, सिडनी में वनडे से पहले

भारत और ऑस्ट्रेलिया टीमें फिल ह्यूज को 63 सेकंड की श्रद्धांजलि देंगी, सिडनी में वनडे से पहले

नव॰, 28 2025

द्वारा लिखित : व्यंग्यवर्धन बदलेवाला

27 नवंबर, 2020 को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले पहले वनडे मैच से पहले, दोनों टीमों के खिलाड़ी, मैच अधिकारी और स्टेडियम में उपस्थित दर्शक 63 सेकंड तक खड़े होकर तालियाँ बजाएंगे — एक शांत, गहरी श्रद्धांजलि जो किसी भी खेल में कभी नहीं भूली जा सकती। यह समय, यह संख्या, यह चुप्पी — सब कुछ फिलिप लियोनार्ड ह्यूज के नाम है। एक ऐसा खिलाड़ी जिसका करियर 63 रनों पर अधूरा रह गया, और जिसकी मृत्यु ने क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया।

63 रन, एक जीवन, एक अंत

27 नवंबर, 2014 को, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के मैदान पर, फिलिप लियोनार्ड ह्यूज न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ साउथ ऑस्ट्रेलिया की ओर से शेफील्ड शील्ड मैच में खेल रहे थे। उन्होंने 63 रन बनाए थे — नाबाद। तभी सीन एबॉट ने फेंकी गई एक शॉर्ट-पिच बाउंसर उनकी गर्दन पर लग गई। एक गेंद। एक लम्हा। और फिर — चुप्पी। 25 साल की उम्र में, मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण उनकी जान चली गई। जब वह बल्लेबाजी कर रहे थे, तो कोई नहीं सोच सकता था कि यही उनका आखिरी रन होगा।

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और 'नाबाद 63'

इस दुखद घटना के बाद, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने एक अद्वितीय कदम उठाया। उन्होंने 'नाबाद 63' को ट्रेडमार्क कर लिया। यह सिर्फ एक स्मृति नहीं, बल्कि एक सुरक्षा भी थी — एक ऐसा ट्रेडमार्क जो उनकी याद को व्यावसायिक शोषण से बचाता है। इसका मतलब था: यह नंबर किसी के लिए बिक्री का नाम नहीं, बल्कि एक अमर अपमान का प्रतीक है।

भारतीय टीम का जुड़ाव

याद रखें, 2014 में भारतीय टीम भी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। तब तक की भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने फिल ह्यूज के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की थी। उस दौरान किसी भी भारतीय खिलाड़ी के दिल में यह सवाल बसा था — अगर यह हमारे साथ होता, तो? आज, छह साल बाद, भारतीय टीम फिर से उसी मैदान पर है — और वही श्रद्धांजलि देने वाली है। यह केवल एक अनुशासन नहीं, बल्कि एक इंसानी जुड़ाव है।

क्रिकेट का सुरक्षा क्रांति

फिल ह्यूज की मृत्यु के बाद, क्रिकेट जगत ने अपने सिर के ऊपर का हेलमेट नहीं, बल्कि अपनी आत्मा को बदल दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने हेलमेट डिजाइन में सुधार किए, बाउंसर की संख्या पर नियंत्रण लगाया, और खिलाड़ियों के लिए नई सुरक्षा दिशानिर्देश बनाए। आज कोई भी बाउंसर नहीं फेंका जाता बिना खिलाड़ी की सुरक्षा के बारे में सोचे। यह सब कुछ एक युवा खिलाड़ी की मृत्यु के बाद शुरू हुआ।

पूर्व कप्तानों की आवाज़

रिकी पोंटिंग, जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान संभाली थी, ने कहा था: "फिल ह्यूज एक अद्भुत खिलाड़ी और इंसान था, जिसकी यादें हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेंगी।" यह बयान किसी भी आधिकारिक बयान से अलग है — यह दिल से निकला है। और आज, जब दर्शक खड़े होंगे, तो उनकी तालियों में वही भावना होगी।

क्यों 63 सेकंड?

यह कोई बेकार की आदत नहीं है। यह एक यादगार चिह्न है। 63 रन — वह आखिरी स्कोर जिसे फिल ने बनाया। उस समय वह नाबाद थे। उनका करियर अधूरा रह गया। इसलिए, 63 सेकंड — उसके लिए जितना वक्त उन्हें दिया गया, उतना ही हम उन्हें देते हैं। इस तरह, वह अभी भी नाबाद हैं।

एक नए नियम का जन्म

इस श्रद्धांजलि के बाद, क्रिकेट के नियम बदल गए। अब जब भी कोई खिलाड़ी बाउंसर फेंकता है, तो उसके बाद एक छोटा सा रुकावट होता है — एक दम से नहीं, बल्कि एक दिल के धड़कन के बराबर। इस तरह के नियम अब दुनिया भर में लागू हैं। और यह सब एक व्यक्ति के लिए हुआ है — जिसका नाम आज भी बार-बार बोला जाता है, लेकिन कभी भूला नहीं जाता।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

फिल ह्यूज का क्रिकेट करियर कैसा था?

फिलिप ह्यूज ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 26 टेस्ट, 25 वनडे और 1 टी20 मैच खेले। टेस्ट में उन्होंने 1535 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 7 अर्धशतक शामिल थे। उनकी बल्लेबाजी की शैली शांत, तकनीकी और अत्यंत सुरक्षित थी — जिसके कारण उन्हें टेस्ट क्रिकेट में बहुत आदर मिलता था।

63 सेकंड की श्रद्धांजलि क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

63 रन उनका आखिरी स्कोर था, और वह नाबाद थे — यानी उनका करियर अधूरा रह गया। इसलिए 63 सेकंड की शांत तालियाँ उनके अधूरे सपनों को सम्मान देती हैं। यह कोई सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यादगार है जो खेल के इतिहास में अमर है।

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 'नाबाद 63' को ट्रेडमार्क क्यों कराया?

इसे ट्रेडमार्क करके उनकी याद को व्यावसायिक शोषण से बचाया गया। कोई भी उत्पाद, टी-शर्ट या विज्ञापन इस वाक्यांश का उपयोग नहीं कर सकता। यह एक नैतिक दृष्टिकोण था — याद को सम्मान देना, न कि बेचना।

इस घटना ने क्रिकेट की सुरक्षा नीतियों पर क्या प्रभाव डाला?

इसके बाद हेलमेट डिजाइन में बड़े सुधार हुए, खासकर गर्दन और पीछे के हिस्से की सुरक्षा में। बाउंसर की संख्या पर नियंत्रण लगाया गया, और खिलाड़ियों के लिए नए सुरक्षा दिशानिर्देश बनाए गए। आज दुनिया भर के खिलाड़ी इन नियमों के कारण सुरक्षित हैं।

क्या भारतीय टीम ने पहले भी फिल ह्यूज के लिए श्रद्धांजलि दी है?

हाँ, 9 दिसंबर, 2014 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत के बीच टेस्ट मैच से पहले भारतीय टीम ने भी 63 सेकंड की मौन श्रद्धांजलि दी थी। तब भी दोनों टीमों ने खड़े होकर तालियाँ बजाईं। यह एक नियम नहीं, बल्कि एक दिल की आदत बन गई है।

क्या आज भी फिल ह्यूज की याद की जाती है?

हर साल 27 नवंबर को, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच जब भी मैच होता है, तो श्रद्धांजलि का आयोजन किया जाता है। उनके नाम पर एक स्मारक भी सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के पास बनाया गया है। उनकी याद अब एक भावना है — जो खेल के दिल में बसी है।